Monday, March 22, 2010

लोगों ने बदली सिलुआ गाँव की तश्वीर |


साफ़-सफाई,गन्दगी और पानी ये समस्याएं आम आदमी के लिए हमेशा से बनी रहती है | इन मूलभूत समस्याओं से निजात पाने के लिए समाज का व्यक्ति शासन और प्रशासन की और निगाहें लगाकर देखता है, की कब उसकी इन समस्याओं को दूर किया जाएगा | बार-बार शासन और प्रशासन को इसके बारे में बताया जाता है लेकिन कई बार सरकारी तंत्र इन लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देता है और नतीजा ये होता है की बेचारा आम आदमी थक हारकर उम्मीद ही छोड़ देता है | ये बात शहर की ही नहीं है ये घटना उन छोटे छोटे गाँव में भी होती है | अगर व्यक्ति खुद ही जागरूक और समझदार हो जाये तो उसे शासन और प्रशासन की और टकटकी लगाकर देखने की जरुरत ही नहीं होगी | ऐसी ही समझदारी का काम सिलुआ गाँव के लोगो ने कर दिखाया है | इस गाँव के लोगों ने एक समिति बनाकर पुरे गाँव की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है | इन्होने गाँव के लोगो में साफ सफाई और गंदगी को दूर करने के लिए जागरूकता फैला दी है | " सिलुआ ग्राम पंचायत प्रस्फुटन समिति " के नाम से बनी इस समिति के लोग पढ़े लिखे है और ये गाँव के हर घर में जाकर लोगों को साफ़ सफाई और गन्दगी के बारे में जानकारी देते है | 2000 लोगों की आबादी वाले इस गाँव में समिति द्वारा कचरा डालने के लिए जगह जगह कुढादान बनाया गया है | यंहा तक की नालियों का निर्माण कर उसे समय समय पर समिति के लोगो द्वारा साफ़ भी करवाया जाता है ताकि गंदगी न फैले | ये सारे काम समिति अपने खुद के खर्चे पर करती है शासन द्वारा इन्हें किसी भी प्रकार का सहयोग या राशि प्रदान नहीं की जाती है | गांवों में चूल्हा जलने के लिए लकड़ी की कमी नहीं रहती है लेकिन इन लोगों ने गाँव के लोगों को पर्यावरण के प्रति इतना जागरूक कर दीया है की कई लोगों ने लकड़ी और गैस की जगह अब बायोगैस का इस्तेमाल करने लगे है | बायोगैस का उपयोग करने वाले गोविन्द पटेल कहते है की हमें खाना बनाने के लिए जंगले से लकड़ी काटकर लाना पड़ती थी | लकड़ी काटने से हमारा पर्यावरण नष्ट हो रहा है वही गैस इतनी महंगी है की उसे खरीदने के लिए 500 रुपये खर्च करने पड़ते थे | हमारी इतनी आमदानी नहीं है की हम LPG का उपयोग कर सके | जब हमे समिति के लोगों ने बताया की घर पर ही बायोगैस का निर्माण हो सकता है तब मैंने बायोगैस घर पर लगवाया इसे लगवाने पर शासन द्वारा सबसिटी भी मुझे मिली है | इसके अलावा मेरी पत्नी को चूल्हा फूकने से निजात मिल गयी है और वो इसलिए खुश है की उसे चूल्हा फूकने नही पड़ेगा और उसकी आँखे अब लाल नहीं होंगी | पटेल का ये भी कहना था की बायोगैस का जो गोबर बचता है वो खेत में खाद का काम करती है | ये खाद बहुत ही उपयोगी होती है | इधर समिति के अध्यक्ष रामकृपाल पटेल का कहना है की समिति पिछले दो वर्षों से काम कर रही है इस बार समिति ने पंचायत चुनाव में पढ़े लिखे लोगों को खड़ा किया और ये सबी चुनाव जीतकर आये है | उन्होंने कहा की पंचायत में पढ़े लिखे लोगों का होना बहुत ही जरुरी है | क्योंकि पढ़े लिखे लोगों के पंचायत में चुनकर आने से कई कार्य आसान हो जाते है | श्री पटेल ने आगे बताया की रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत गाँव में 1000 पौधों को लगाया गया है | और पौधों की देखरेख करने का काम समिति द्वारा किया जा रहा है |जन अभियान परिषद् जबलपुर द्वारा बनाई गयी इस प्रस्फुटन समिति ने सिलुआ गाँव में कई तरह के विकास काम किये है |जन अभियान परिषद् जबलपुर के जिला समन्वयक अमित पाटीदार का कहना है की मध्यप्रदेश शासन स्वेच्छिक संगठनों के माध्यम से समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को आत्मनिर्भय बनाना चाहती है | और इसके लिए गाँव में प्रस्फुटन समिति के माध्यम से शासन की जन कल्याणकारी योजनायों को जन जन तक पहुचाने का काम करना है |सिलुआ गाँव की तरह अगर शहर के लोगों में भी जागरूकता आ जाए तो बार बार लोगों को समस्याओं के समाधान के लिए शासन की और टकटकी लगाकर देखने जरुरत ही नहीं होगी |

Thursday, March 11, 2010

"मेरिड टू अमेरीका" फिल्म बनने से पहले विवादों में उलझी |


"मेरिड टू अमेरिका" फिल्म बनने से पहले ही सुर्ख़ियों में आ गयी है | फिल्म में चीफ इंजीनियर का रोल निभा रहे अहमद खान ने फिल्म के निर्माता/ निर्देशक दिलीप शंकर पर रुपये न देने आ आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है | श्री अहमद खान ने दिलीप शंकर पर आरोप लगाते हुए कहा है की इस फिल्म की शूटिंग के लिए उन्हें साइनिंग अमाउंट के तौर पर एक छोटी सी रकम दी गयी थी और कहा गया था की जैसे ही फिल्म की शूटिंग ख़त्म होगी उन्हें बकाया 50 हज़ार रुपये दे दिए जायेंगे | श्री खान का ये भी कहना था कि 27 फरवरी 2010 को उनके हिस्से का काम खत्म हुया तो उन्होंने फिल्म के निर्देशक दिलीप शंकर से बकाया रुपये मांगे तो उन्होंने कहा कि वो प्रोडक्शन मैनजर शकील अंसारी से संपर्क करे | लेकिन प्रोडक्शन मैनजर ने कहा कि रुपये देने कि जानकारी उनके पास नहीं है| इस तरह श्री खान रुपये के लिए काफी परेशान हुए | श्री खान ने आगे बताया कि मामला यंहा भी नहीं रुका और दूसरे दिन गुलज़ार के कमरा नंबर-311 में निर्माता/ निर्देशक दिलीप शंकर, प्रोडक्शन मैनजर शकील अंसारी के साथ और लोग आये और गाली गलौज करने लगे , दिलीप शंकर ने गाली देते हुए कहा कि अगर तुमने रुपये मांगे तो.......मैं तुमको उठवा लूँगा......जबलपुर से निकल नहीं पावोगे....इसलिए चुपचाप अपना बोरिया-बिस्तर बांधो और यंहा से दफा हो जाओ | श्री खान ने कहा है कि इस तरह एक कलाकार के साथ गाली गलौज करना ये फिल्म के निर्माता- निर्देशक को शोभा नहीं देती वो इस अपमान के खिलाफ जबलपुर में रिपोर्ट दर्ज कराएँगे | इधर इस फिल्म के निर्माता\निर्देशक दिलीप शंकर ने अहमद खान की बातों को नकारते हुए कहा है की वो एक सिनिअर कलाकार है और हम उनकी इज्जत करते है | वो जो कह रहे वो सरासर गलत है अहमद खान को तीन दिन तक शूटिंग के लिए यंहा पर रुकना था लेकिन उन्होंने दो दिन और एक्स्ट्रा रुकने की बात कही और हमने अपने खर्चे पर उन्हें दो दिन और यंहा पर रोका | और वो जो बाकी पेमेंट की बात कर रहे है ऐसी कोई बात उनके और हमारे बीच नहीं हुयी है | उनका जो भी पेमेंट बाकी था वो उन्हें दे दिया गया है | खैर दिलीप शंकर और अहमद खान के बीच पैदा हुआ ये झगडा शांत होने जैसा नहीं लगता है | जबलपुर में इस तरह से एक दुसरे पर आरोप लगाने वाले इन कलाकारों को देखकर लगता है की जब यंहा इतना हो सकता है तो मुंबई जैसे शहर में क्या नहीं होता होगा |

Monday, July 20, 2009

आज
hjhj

Wednesday, June 10, 2009

MILK RATE

जबलपुर में दूध के दाम अचानक बढ़ने से आम लोगो को काफी दिकतो का सामना करना पड़ रहा है शासन शासन सभी मौन धारण करके बैठे है करीब एक माह से कांग्रेस के कार्यकर्ता कलेक्टर कार्यालय के सामने धरने पर बैठे है लकीन उनकी सुधा लेने वाला कोई नहीं है दूध व्यवसाई दूध के दाम कम करने को तैयार नहीं है उनका कहना है की शासन उन्हें रियायती दरो पर पशु आहार उपलब्ध कराये, तभी वो दूध के दाम कम करेंगे शासन और प्रशासन द्वारा इस और ध्यान नहीं देने से दूध के दाम कम नहीं हो पा रहे है